A Church is not a temple for saints, but rather a Hospital for sinners.

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Tuesday, March 1, 2011

2011 की भारत के लिये भविष्यद्वाणी

                    2011 की भारत के लिये भविष्यद्वाणी
1 जनवरी 2011 को पॉल दीनाकरण द्वारा प्रकाशित की गयी भविष्यद्वाणी को हम नीचे प्रस्तुत करते हैं:-


                                                   भारत के लिये
(1)  यहां सभी संप्रदायो के लोंगों के बीच में उम्र और आर्थिक बातों से परे पश्चाताप की लहर उठेगी और उन्हे उनके दुष्टता के मार्ग से फेरेगी। पवित्रीकरण समाज के सभी स्तर मे आयेगा। देश में परमेश्वर का भय छा जायेगा। परमेश्वर किसी के भी कल्पना और समझ से बढ़कर इस देश को पवित्र करने हेतु अद्भुत कार्यों को करेगा। परमेश्वर ने कहा है, ‘‘मै तो सब प्राणियों का परमेश्वर यहोवा हूं; क्या मेरे लिये कोई भी कार्य कठिन है’’

(2) उन लोंगों के मन मे एक नवीकरण आयेगा और जो दुष्टता की आत्मा का अभ्यास लोंगों के परिवारों का नाश करने के लिये करते हैं। यह पवित्र आत्मा की सामर्थ के द्वारा बंन्द किया जायेगा। ऐसे दुष्ट लोंगों के मन भी छुटकारा को प्रप्त करेगें और परिवार मजबूत होंगें।

(3)(अ) यह साल देशों, परिवारों, संस्थाओं, और समाजों के बीच एक शांति का साल होगा। भारत में लोग एक दूसरे के साथ शांति स्थापित करेंगें। परमेश्वर कहता है ‘‘मेरा काम’’ लोगों के दिलों को जोड़ना और सभी मानव जाति के बीच में शांति स्थापित करना होगा ताकि वे अपने आम शत्रु जैसे रोग, लालच, अलगाव की पीड़ा से लड़ सके।

         राष्ट्रों, परिवारों,संस्थानों एवं समाजों के बीच शांतिशील समझौता होगा। परमेश्वर परिवारों मे शांति स्थापित करेगा। अद्भुत रीति से वह पिताओं के ह्रदयों को उनके बच्चों के प्रति और बच्चों के ह्रदयों को उनके पिताओं के प्रति फेरेगा।

(आ) लोग आपस में शांति को बनायें रखें, जहां पर इनके साधारण शत्रु जैसे बीमारी, लालच, वियोग की पीड़ा, आदि लोंगों को शांति दे।
युवा परमेश्वर की महिमा से भर जायेंगें और अपने माता पिता और बड़ों की देखभाल के प्रति अपने मनों को फेरेगें।परमेश्वर इसके द्वारा आनंदित होगा उसकी शांति पूरे देश में बिना किसी सेवा के फैल जायेगी (भजन संहिता 144:14) । तब परमेश्वर अपनी सभी प्रतिज्ञाओं को पूरा करेगा और लोग अपनी वाचाओं को पूरा करेंगें।

(4) परमेश्वर अपनी धार्मिकता की सुखद बारिश को भारत के उूपर बरसायेगा।
भारत के प्रमुख लोग प्रभु मे सांत्वना और शांति को प्राप्त करेंगें। परमेश्वर का नाम प्रमुख लोंगें के उपर होगा और वह उनके प्रति अपना न्याय दिखाते हुऐ उन्हे प्रतिफल देगा।

(5) परमेश्वर उनके प्रति अनुग्रहकारी होगा जो अनुग्रहकारी हैं। कभी परमेश्वर ने अपने लोंगों को नही त्यागा और वह उन लोंगों को जिन्होने सभों के सामने उसके नाम की घोषणा किये हैं, उूचा उठायेगा, इसकी प्रतिज्ञा वह आज करता है।

                                                              भारत - लौकिक

1. परमेश्वर, जिन्होने लोंगों के सामने उसके नाम की घोषणा की है, उनके साथ और उनके परिवारों के साथ बना रहेगा ताकि उनके द्वारा अपनी इच्छा को भारत मे दृढ़ करे।
2. भारत के उन क्षेत्रों मे जहां आज तक विदेशी निवेश बंद था, वहां पर विदेशी निवेश के आगमन के लिये मार्ग खोला जायेगा, जो भारत को उूचाई तक पहुंचायेगा। भारत के निवेश विश्व के प्रमुख देशों मे फैल जायेगा। वहां पर इन विदेशी निवेशों के द्वारा भारत से सुसमाचार पहुंचेगा।
3. भारत दुनिया के कई भागों के लिये दुनियाबी सेवाओं और प्रोद्योगिकी उपलब्ध कराने के लिये दूरसंचार के एक दिग्गज कंपनी के रुप मे आगे बढ़ेगा। यह भारत द्वारा अन्य देशों मे सुसमाचार प्रचार हेतु मददगार साबित होगा।

Friday, December 3, 2010

"ALMIGHTY GOD"



                                                    पवित्र आत्मा का चित्रण

क्या ही अच्छा हो कि हम थोड़े समय के लिये पवित्र आत्मा पर मनन - चिन्तन करें जो अपने वरदान कोमलता से हममे भरता है।

    प्रभु ने मानवजाति के सामने स्वयं को तीन रुपों मे प्रगट किया। परन्तु ये तीनो विभिन्न रुप जो प्रगट किये गये तीन भिन्न ईश्वर नही हैं परन्तु एक ही, एकमात्र परमेश्वर जिसने स्वयं को तीन विभिन्न रुपों मे प्रगट किया। बाइबल का निम्न पद इसे स्पष्ट कर देता है:-

‘‘और गवही देने वाले तीन हैं; आत्मा, और पानी, और लोहू, और तीनो एक ही बात पर सम्मत हैं - ठीक जैसे स्वर्ग में तीन साक्षी देने वाले हैं, पिता , वचन , और पवित्र आत्मा और ये तीनो एक हैं।’’
(1)  परमेश्वर पिता

 परमेश्वर पिता के प्रकटन के वर्णन के प्रयास में , यशायाह 66:1 तथा प्ररितों के काम 7:49, उसके वचनो को प्रगट करते हैं ,
 ‘‘आकाश मेरा सिहांसन और पृथ्वी मेरे चरणों की चौकी है।’’

इब्रानियो 11:27 उसको अदृष्य परमेश्वर कहता है। यिर्मयाह 23:23,24 हमे बताता है कि वह सर्वव्यापी है, एक वह जिससे स्वर्ग और पृथ्वी दोनो परिपूर्ण हैं।
  1तिमुथियुस 6:16 यह कहते हुए परमेश्वर पिता का अत्यन्त सुन्दर वर्णन प्रस्तुत करता है ,
   ‘‘ और अमरता केवल उसी मे है, और वह अगम्य ज्योति मे रहता है, और न उसे किसी मनुष्य ने देखा , और न कभी देख सकता है, उसकी प्रतिष्ठा राज्य युगानयुग रहेगा।’’

जैसा कि हम पहले ही देख चुके हैं, कि एक ओर तो परमेश्वर पिता अद्वितीय ईश्वरीय सामर्थ का साकार रुप है, और ठीक इसी समय, दूसरी ओर, वह अतुलनीय प्रेम से भरा है।

                   यूनाइटेड स्टेट आफ अमेरिका मे एक बार एक प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक था जिसका नाम सिसिल बी0 डैमिल्ले था। एक बार फिल्म शूटिंग के दौरान वे मनुष्य की खोपड़ी कपाल की की उस आवाज को रिकार्ड करने का प्रयास कर रहे थे जब वह भूमि से टकराती है। उन्होने कई अन्य कई वस्तुओं को फर्श पर मार कर वैसी ही आवाज को प्रस्तुत करने के प्रयास किये जो खोपड़ी के टकराने से होती है। परन्तु वे ठीक वैसी वैसी आवाज को प्रस्तुत करने मे सफल न हुऐ। अन्त में, उसने आदे दिया कि रिकार्डिगं की सब मशीनों एवं उपकरणों को तैयार रखें। तब यह कह कर, ‘ अब हम सही आवाज पा सकते हैं, उसने स्वयं का सर फर्श पर जोर से टकराया, यह देख कर शूटिंग यूनिट के सब लोग और जो वहां एकत्रित हुए थे चकित एवं आंतंकित रह गये। बहुत अच्छी रिकार्डिगं हुई, परन्तु वे सब उसके स्वास्थ्य के प्रति चिन्तित थे। उन्हे आन्तरिक रक्तस्राव, सूजन इत्यादि का भय लगा था। परन्तु सौभाग्यवश कुछ भी हानि नही हुई।

हॉं हमारा प्रभुओं का प्रभु भी ठीक इसी प्रकार का है। वह स्वयं इस पृथ्वी पर आया कि मानव जाति पर अपने स्वभाव को प्रकट करे।

(2) यीशू मसीह, पुत्र

बाइबल के पद मत्ती 1:23, 1तिमुथियुस 3:16,रोमियों 9:5 मे एक मन से कहते है कि यीशू मसीह परमेश्वर था जो शरीर मे प्रकट हुआ। यहा तक की प्रभू यीशू ने यहुन्ना 14:9 मे कहा, ‘‘जिसने मुझे देखा है उसने पिता को देखा है’’ यहुन्ना 10:30 मे उसने पुनः कहा, ‘‘मै और पिता एक है।’’ हां कुलुस्सियों 1:15 तथा इब्रानियों 1:3 बताते हैं कि यीषू ‘अदृष्य परमेश्वर का प्रतिरुप है; उसकी महिमा का प्रकाश, और उसके तत्व की छाप है।’ उसके जीवन मे भी, सामर्थ और प्रेम एक दूसरे से जुड़े हुए थे।
 जैसा कि लूका 24:19 कहता है कि वह ‘वचन और काम मे सामर्थी भविष्यद्वक्ता था’ और ठीक इसी समय पर वह कोमल ह्रदय वाला था। जैसा कि इब्रानियों 10:7,9 मे लिखा है यीशू मसीह परमेश्वर की इच्छा पूरी करने के लिये यहां इस पृथ्वी पर आया। इब्रानियों 10:10 पिता की इच्छा का वर्णन करता है,जिसे पृथ्वी पर यीशू ने पूरी की। उस इच्छा के द्वारा, यीशू मसीह के एक ही बलिदान चढ़ाने के द्वारा अर्थात स्वयं को क्रूस पर चढ़ाने के द्वारा हम शुद्ध एवं पवित्र किये गये।

‘‘उसी इच्छा से हम यीशू मसीह की देह के एक ही बार बलिदान चढ़ाये जाने के द्वारा पवित्र किये गये हैं।’’ इब्रानियों 10:10

               हां इस पृथ्वी पर नीचे आने का उसका एक ही अभिप्राय था कि अपने शरीर को एक जीवित बलिदान के रुप में चढ़ाये तथा क्रूस पर अपना निर्दोश लोहू बहाए जिससे कि मानव जाति के अधर्म मिटायें जायें। लैव्यव्यवस्था 17:11,तथा इब्रानियों 9:22 इसे सिद्ध करते हैं ‘बिना लोहू बहाये पापों के लिये कोई क्षमा नहीं। जैसा कि पतरस 1:19 तथा प्ररितों के काम 20:28 मे लिखा है, प्रभु इस पृथ्वी पर यीशू के नाम से आया उसने अपना निष्कलंक रक्त बहाया और जैसा यहुन्ना 1:7 कहता है आज भी यीशू का लोहू हमे सब पापों से शुद्ध करने मे सामर्थी है। क्रूस पर अपनी मृत्यू ,गाड़े जाने और पुनरुत्थान के बाद यीशू स्वर्ग पर उठा लिया गया। इस प्रकार उसने पृथ्वी पर अपने सबसे बड़े मिशन को पूरा किया। वहां से उसने मनुष्य जाति के लिये दो महान वरदान भेजे।

                                        पवित्र आत्मा

यहुन्ना 14:26; 15:26; 16:7 हमे बताते हैं कि पवित्र आत्मा यीशू के अनुरोध पर पिता के द्वारा एक ‘सहायक‘ के रुप मे भेजा गया।

                                       दया के वरदान

‘‘तू उूचें पर चढ़ा, तू लोगों को बन्धुआई में ले गया; तूने मनुष्यों से, वरन हठीले मनुष्यों से भेंटें ली, जिससे याह परमेश्वर उनमें वास करे।’’ भजन संहिता 68:18

जैसा कि यह पद संकेत देता है, उसने अपने पवित्र आत्मा को दया पूर्वक उण्डेल दिया यहां तक कि विद्रोही मानव जाति पर, जिससे कि वे भी उसके द्वारा वरदान प्राप्त करें।इफीसियों 4:7,8 ठीक इसी सत्य को दोहराता है। बाइबल इब्रानियो 9:12 तथा 10:19,21 मे हमें दृश्य प्रतिरुप दिखाती है, और वर्णन करती है कि किस प्रकार यीशू स्वर्ग पर उठा लिया गया। मसीह ने परमेश्वर की उपस्थिति- महापवित्र स्थान मे अपना ही लहू लिये प्रवेश किया, जिसे उसने कलवरी क्रूस पर अनन्त बलिदान के रुप चढ़ाया था। उसने इस रक्त को सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अनुग्रह के सिंहासन के सामने, इस विनती के साथ उण्डेल दिया, ‘‘पिता, मानवजाति को मैने अपने निष्कलंक लहू के दाम से खरीदा है 1कुरि0 6:20; 7:33 अब ये सब आपके हैं। पुरषों और स्त्रियों को अपने अमूल्य वरदानो से भर दे जिससे कि पृथ्वी पर वे मेरे स्थान पर कार्य का सकें। अन्यथा कौन है जो इनकी सहायता करने को आगे आयेगा - जो टूटे ह्रदय वाले हैं , वे जो रोग बिमारियों से पीड़ित हैं, वे जो बुरी एवं पापपूर्ण आदतों के बन्धनों मे जकड़े हैं, वे जो शैतान की आत्माओं
दुष्टआत्माओं से ग्रसित हैं तथा वे जो संसार की अनेकानेक चिन्ताओं मे जकड़े एवे परेशान हैं’’
परिणम स्वरुप पवित्र आत्मा जो कि सान्त्वनादाता है,उसके वरदान और उसके फल यहां नीचे पृथ्वी पर आये।

आर्मी जनरल ऑलिवर क्रैमवैल के शासन काल में इंग्लैण्ड मे अति कठोर एवं पक्के नियम थे।एक जवान सैनिक को सेना का नियम तोड़ने के कारण उसके सामने दण्ड देने के लिये लाया गया और उसे मृत्यू दण्ड दिया गया। ‘‘कल शाम को सेन्ट मेरी चर्च के घन्टे बजते ही इसको गोली से उड़ा दिया जाये’’ यह ऑलिवर द्वारा दिया गया आदेश था।
  सन्ध्या समय था। उस युवा सैनिक को एकान्त स्थान मे ले जाया गया। उसकी आंखों पर काली पट्टी बांन्ध दी गयी थी और उसके मुंह को भी ढांप दिया गया था और वह अपनी मृत्यू की प्रतीक्षा कर रहा था। जल्लाद सैनिक जो उसे मारने के लिये नियुक्त किये गये थे वे चर्च के घन्टे बनजे की प्रतीक्षा कर रहे थे। सान्ध्य प्रकाश जाता रहा और रात्रि होने लगी अभी तक उन्हे चर्च के घन्टे बजने की आवाज सुनाई नही दी थी! कै्रमवैल और बन्दूक घारी सैनिको को अत्यंन्त आश्चर्य हो रहा था कि आज घन्टे क्यों नही बजे! प्राणदण्ड पाया सैनिक भी बेचैन था।
    तभी एक लहुलुहान युवती भागती हुई आई और जनरल क्रैमवैल के पांव पर गिर पड़ी। उसके सिर में बहुत चोट लगी थी और षरीर पर जगह जगह घाव थे जिनसे खून बह रहा था। बोल न पाने और अत्यन्त निढाल होने के कारण केवल उसने अपने दोनों हाथ क्रैमवैल के सामने उठा दिये जो बुरी तरह से घायल और खून से लथपथ थे। क्रैमवैल पलक झपकते ही सब कुछ समझ गया।
वह उस दण्ड पाये सैनिक की प्रेमिका थी। अपने प्रेमी को मृत्यू दण्ड दिये जाने के कारण वह अत्यधिक निराश थी पर उसने उसे बचाने का दृढ़ निश्चय कर लिया था। वह दोपहर को ही घन्टे मे बन्धी रस्सी से किसी तरह उपर चढ़ गयी थी; और उसने घन्टे के लट्टू को दोनो हाथों से मजबूती से पकड़ लिया था।
‘‘मेरा प्रियतम तब ही मारा जायेगा न जब घन्टे के बजने की आवाज सुनाई देगी! पर जब घन्टा बजाने के लिये रस्सी खींची जायेगी तब मै घन्टे के लट्टू को कसकर पकड़े रहूंगी और उसे घन्टे से टकराने नही दूगीं’’ सच है, जब घन्टा बजाने वाले ने कई बार रस्सी खींची तब उसका सर टकराया, उसके दोनो हाथों में चोटें लगी, उसका शरीर लहूलुहान हो गया था। जब वह बहिरा घन्टा बजाने वाला प्रतिदिन के समान घन्टे की रस्सी कई बार खींचकर चला गया और उसे मालूम ही न चला कि घन्टे मे आवाज आई या नही! पर एसे में उसके प्रियतम का चेहरा उसकी आंखो के सामने था जिसे मारने के लिये बन्दूकें तनी थीं तब उसमे आश्चर्यचकित उत्साह भर गया था और उसकी मानसिक शक्ति इतनी बढ़ गयी थी कि उसे अपनी पीड़ा का ध्यान ही नही रहा था! फिर, जब वह घन्टा बजाने वाला अपनी ड्यूटी पूरी करके चला गया तो वह रस्सी से घिसटते हुऐ नीचे आई और पूरी ताकत से उस स्थान की ओर भागी कि देंखें कि उसका प्रियतम जीवित है कि नही! वहां उस कठोर जनरल को देख कर, वह उसके पैरों पर गिर पड़ी और उसकी शरण मांगी।
इस दृश्य ने कठोर ह्रदय कै्रमवैल के ह्रदय को भी पिघला दिया इससे वह इतना द्रवित हो उठा कि उसने प्रतिज्ञा की, ‘‘पुत्री तेरे प्रेमी को क्षमा किया जाता है! वह अब स्वतन्त्र है!’’ हां उस पुरुष के जीवन को बचाने के लिये जिससे वह प्रेम करती थी उस ने उन घावों के दर्द को सह लिया था!
ठीक उसकी तरह, हमारे प्रभु यीशू ने भी स्वयं अपना शरीर तोड़े जाने और क्रूस पर कीलों से ठोंके जाने के लिये सौंप दिया था। उसके घायल सिर से तथा घायल हांथों एवं पैरों से लहू बह रहा था। स्वर्गीक पिता उन सब को पापों की क्षमा देता है जो यीशू के पवित्र लोहू को देखकर उसके खोज मे लगते हैं यह उन्हे पवित्र आत्मा से भरता है। और फिर भी वह उन पर अपने बहुमूल्य वरदानों की वर्षा भी करता है!
 
  
                                   पवित्र आत्मा

पवित्र आत्मा कौन है इसका उत्तर बाइबल का निम्न पद देता है 
‘‘प्रभू तो आत्मा है, और जहां कहीं प्रभू का आत्मा है वहां स्वतंत्रता है।’’
हां वह स्वयं अदृश्य परमेश्वर है, जो नीचे इस पृथ्वी पर ‘‘पवित्र आत्मा’’ के नाम से आया।
उसका स्वभाव कैसा है वह भी, परमेश्वर पिता के समान एक ओर तो सामर्थशाली है तथा दूसरी ओर ठीक इसी समय एक कोमल ह्रदय वाला एवं दयालु है।
उसके सामर्थ्य एवं बल के लिये निम्न पद एक सटीक उदाहरण है;
‘‘तब पश्चिम की ओर लोग यहोवा के नाम का, और पूर्व की ओर उसकी महिमा का भय मानेंगें; क्योंकि जब शत्रु महानद की नाई चढ़ाई करेंगें तब यहोवा का आत्मा उसके विरुद्ध झण्डा खड़ा करेगा।’’ यशायाह 59:19
 परन्तु बाइबल मे उसे एक दूसरा नाम भी दिया गया है ‘अनुग्रह का आत्मा’ (जकर्याह 12:10; इब्रानियों 10:29)

हां पवित्र आत्मा सामर्थ एवं प्रेम से जुड़ा एवं बुना हुआ है। वह एक ओर लोंगों को परमेश्वर के सामर्थ से भरता है (प्ररितों के काम 1:8 )। 
तो दूसरी ओर वह परमेश्वर का प्रेम उन लोगों पर उण्डेलता है। बाइबल का निम्न पद इसकी साक्षी देता है,
‘‘........... क्योकि पवित्र आत्मा जो हमे दिया गया है उसके द्वारा परमेश्वर का प्रेम हमारे मन मे डाला गया है।’’ (रोमियो 5:5)

हमारे प्राणों को मजबूत करने और अपनी सामर्थ से हमे तरोताजा करने हेतु वह एक ओर तो हमे अपनी सामर्थ से भरता है, परन्तु ठीक इसी समय, वह आत्मा का फल प्रदान करता तथा प्रेम से भरता है कि हमारे स्वभाव को पूर्णतया परिवर्तित करे जिससे कि परमेश्वर के सेवक परमेश्वर के सच्चे स्वभाव को जैसा कि 1 यहुन्ना 4:17 मे प्रकट किया गया, प्रतिबिम्बित कर सकें।
बाइबल कुरिन्थियों 12:11 मे हमें बताती है कि वह पवित्र आत्मा के प्रत्येक वरदान को अपनी इच्छा अनुसार जिसे जो चाहता है बांट देता है। वह व्यक्ति गत योग्यता के लिये कि वरदान पाने के लिये कहां तक उपयोगी है, दो प्रकार की बातो को माप के रुप मे उपयोग मे लाता है।
1 विश्वास का स्तर
2 परमेश्वर के द्वारा ‘‘ सेवा के लिये बुलाहट का स्तर‘‘ 

Wednesday, December 1, 2010

Deus ainda cura !!! Musica de Rodrigo Claro

 बाइबल हमे बताती है :- 
"क्योंकि परमेश्वर का राज्य बातों में नहीं, परन्तु सामर्थ में है।"
 जब वह उस पहाड़ से उतरा, तो एक बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली।Matthew 8:1
और देखो, एक कोढ़ी ने पास आकर उसे प्रणाम किया और कहा; कि हे प्रभु यदि तू चाहे, तो मुझे शुद्ध कर सकता है।Matthew 8:2
यीशु ने हाथ बढ़ाकर उसे छूआ, और कहा, मैं चाहता हूं, तू शुद्ध हो जा और वह तुरन्त कोढ़ से शुद्ध हो गया।Matthew 8:3

यीशू ने जो चमत्कार स्वयं करे थे और उन्होने सारी मानव जाति से वादा किया था कि तुम पवित्र आत्मा की सहायता से मुझसे बड़े बडे़ काम करागे।
आज भी यीशू मसीह के नाम से कैसंर एड्स जैसी लाइलाज बिमारियां ठीक हो रही हैं। 

इसका प्रमाण वीडियो क्लिप मे है। 


                         

Milagre Nº4 na Nigeria -miracle in nigeria- Cancer de Mama Estoura TB JO...

और जब वह कफरनहूम में आया तो एक सूबेदार ने उसके पास आकर उस से बिनती की।
कि हे प्रभु, मेरा सेवक घर में झोले का मारा बहुत दुखी पड़ा है।
उस ने उस से कहा; मैं आकर उसे चंगा करूंगा।
सूबेदार ने उत्तर दिया; कि हे प्रभु मैं इस योग्य नहीं, कि तू मेरी छत के तले आए, पर केवल मुख से कह दे तो मेरा सेवक चंगा हो जाएगा।
क्योंकि मैं भी पराधीन मनुष्य हूं, और सिपाही मेरे हाथ में हैं, और जब एक से कहता हूं, जा, तो वह जाता है; और दूसरे को कि आ, तो वह आता है; और अपने दास से कहता हूं, कि यह कर, तो वह करता है।
यह सुनकर यीशु ने अचम्भा किया, और जो उसके पीछे आ रहे थे उन से कहा; मैं तुम से सच कहता हूं, कि मैं ने इस्राएल में भी ऐसा विश्वास नहीं पाया।Matthew 8:5----12
और यीशु ने सूबेदार से कहा, जा; जैसा तेरा विश्वास है, वैसा ही तेरे लिये होः और उसका सेवक उसी घड़ी चंगा हो गया।।Matthew 8:13


ताकि जो वचन यशायाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया था वह पूरा हो, कि यीशु ने आप हमारी दुर्बलताओं को ले लिया और हमारी बीमारियों को उठा लिया।। Matthew 8:17
        

Monday, November 29, 2010

MEANING OF GOD's LOVE

                                 परमेश्वर के सच्चे प्रेम का अर्थ
जो कि सिर्फ बाईबल मे पाया जाता है :-
"परमेश्वर ने जगत ऐसा प्रेम किया कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया कि जो कोई उस पर विश्वास करे वह नाश न हो परन्तु अनन्त जीवन पाये।"

"पानी की बाढ़ से भी प्रेम नहीं बुझ सकता, और न महानदों से डूब सकता है। यदि कोई अपने घर की सारी सम्पत्ती प्रेम की सन्ती दे दे तौभी वह अत्यन्त तुच्छ ठहरेगी।।"
 "मुझे नगीने की नाईं अपने हदय पर लगा रख, और ताबीज की नाई अपनी बांह पर रख; क्योंकि प्रेम मृत्यु के तुल्य सामर्थी है, और ईर्षा कब्र के समान निर्दयी है। उसकी ज्वाला अग्नि की दमक है वरन परमेश्वर ही की ज्वाला है।"



                   -:MEANING OF LOVE :-

1 यदि मैं मनुष्यों, और स्वर्गदूतों की बोलियां बोलूं, और प्रेम न रखूं, तो मैं ठनठनाता हुआ पीतल, और झंझनाती हुई झांझ हूं।
2 और यदि मैं भविष्यद्वाणी कर सकूं, और सब भेदों और सब प्रकार के ज्ञान को समझूं, और मुझे यहां तक पूरा विश्वास हो, कि मैं पहाड़ों को हटा दूं, परन्तु प्रेम न रखूं, तो मैं कुछ भी नहीं।
3 और यदि मैं अपनी सम्पूर्ण संपत्ति कंगालों को खिला दूं, या अपनी देह जलाने के लिये दे दूं, और प्रेम न रखूं, तो मुझे कुछ भी लाभ नहीं।
 


4    प्रेम धीरजवन्त है, और     कृपाल है;    प्रेम डाह नहीं करता;    प्रेम अपनी बड़ाई नहीं करता,    और फूलता नहीं
5   वह अनरीति नहीं चलता,    वह अपनी भलाई नहीं चाहता, झुंझलाता नहीं,    बुरा नहीं मानता।
6 कुकर्म से आनन्दित नहीं होता,    परन्तु सत्य से आनन्दित होता है।
7 वह सब बातें सह लेता है,  सब बातों की प्रतीति करता है, सब बातों की आशा रखता है, सब बातों में धीरज धरता है।
 


8 प्रेम कभी टलता नहीं; भविष्यद्वाणियां हों, तो समाप्त हो जाएंगी, भाषाएं हो तो जाती रहेंगी; ज्ञान हो, तो मिट जाएगा।
 


9 क्योंकि हमारा ज्ञान अधूरा है, और हमारी भविष्यद्वाणी अधूरी।
10 परन्तु जब सर्वसिद्ध आएगा, तो अधूरा मिट जाएगा।
11 जब मैं बालक था, तो मैं बालकों की नाईं बोलता था, बालकों का सा मन था बालकों की सी समझ थी; परन्तु सियाना हो गया, तो बालकों की बातें छोड़ दी।
12 अब हमें दर्पण में धुंधला सा दिखाई देता है; परन्तु उस समय आमने साम्हने देखेंगे, इस समय मेरा ज्ञान अधूरा है; परन्तु उस समय ऐसी पूरी रीति से पहिचानूंगा, जैसा मैं पहिचाना गया हूं।
13 पर अब विश्वास, आशा, प्रेम ये तीनों स्थाई है, पर इन में सब से बड़ा प्रेम है।


 


Saturday, November 27, 2010

MIRACLES - Determined Cripple

कि अन्धे देखते हैं और लंगड़े चलते फिरते हैं; कोढ़ी शुद्ध किए जाते हैं और बहिरे सुनते हैं, मुर्दे जिलाए जाते हैं; और कंगालों को सुसमाचार सुनाया जाता है।"


Friday, November 26, 2010

(Blessing_or_curse) part 2 curse

                                                   

                          शाप  या अभिशाप

"परन्तु यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा की बात न सुने, और उसकी सारी आज्ञाओं और विधियों के पालने में जो मैं आज सुनाता हूं चौकसी नहीं करेगा, तो ये सब शाप तुझ पर आ पड़ेंगे।"

"अर्थात् शापित हो तू नगर में, शापित हो तू खेत में।"

"शापित हो तेरी टोकरी और तेरी कठौती।"

"शापित हो तेरी सन्तान, और भूमि की उपज, और गायों और भेड़-बकरियों के बच्चे।"

"शापित हो तू भीतर आते समय, और शापित हो तू बाहर जाते समय।"

"फिर जिस जिस काम में तू हाथ लगाए, उस में यहोवा तब तक तुझ को शाप देता, और भयातुरं करता, और धमकी देता रहेगा, जब तक तू मिट न जाए, और शीघ्र नष्ट न हो जाए; यह इस कारण होगा कि तू यहोवा को त्यागकर दुष्ट काम करेगा।"

"और यहोवा ऐसा करेगा कि मरी तुझ में फैलकर उस समय तक लगी रहेगी, जब तक जिस भूमि के अधिकारी होने के लिये तू जा रहा है उस से तेरा अन्त न हो जाए।"

"यहोवा तुझ को क्षयरोग से, और ज्वर, और दाह, और बड़ी जलन से, और तलवार से, और झुलस, और गेरूई से मारेगा; और ये उस समय तक तेरा पीछा किये रहेंगे, तब तक तू सत्यानाश न हो जाए।"

"और तेरे सिर के उूपर आकाश पीतल का, और तेरे पांव के तले भूमि लोहे की हो जाएगी।"

"यहोवा तेरे देश में पानी के बदले बालू और धूलि बरसाएगा; वह आकाश से तुझ पर यहां तक बरसेगी कि तू सत्यानाश हो जाएगा।"

"यहोवा तुझ को शत्रुओं से हरवाएगा; और तू एक मार्ग से उनका साम्हना करने को जाएगा, परन्तु सात मार्ग से होकर उनके साम्हने से भाग जाएगा; और पृथ्वी के सब राज्यों में मारा मारा फिरेगा।"

"और तेरी लोथ आकाश के भांति भांति के पक्षियों, और धरती के पशुओं का आहार होगी; और उनका कोई हांकनेवाला न होगा।"

"यहोवा तुझ को मिस्र के से फोड़े, और बवासीर, और दाद, और खुजली से ऐसा पीड़ित करेगा, कि तू चंगा न हो सकेगा।"

"यहोवा तुझे पागल और अन्धा कर देगा, और तेरे मन को अत्यन्त घबरा देगा;"

"और जैसे अन्धा अन्धियारे में टटोलता है वैसे ही तू दिन दुपहरी में टटोलता फिरेगा, और तेरे काम काज सुफल न होंगे; और तू सदैव केवल अन्धेर सहता और लुटता ही रहेगा, और तेरा कोई छुड़ानेवाला न होगा।"

"तू स्त्राी से ब्याह की बात लगाएगा, परन्तु दूसरा पुरूष उसको भ्रष्ट करेगा; घर तू बनाएगा, परन्तु उस में बसने न पाएगा; दाख की बारी तू लगाएगा, परन्तु उसके फल खाने न पाएगा।"

"तेरा बैल तेरी आंखों के साम्हने मारा जाएगा, और तू उसका मांस खाने न पाएगा; तेरा गदहा तेरी आंख के साम्हने लूट में चला जाएगा, और तुझे फिर न मिलेगा; तेरी भेड़-बकरियां तेरे शत्राुओं के हाथ लग जाएंगी, और तेरी ओर से उनका कोई छुडानेवाला न होगा।"

"तेरे बेटे-बेटियां दूसरे देश के लोगों के हाथ लग जाएंगे, और उनके लिये चाव से देखते देखते तेरी आंखे रह जाएंगी; और तेरा कुछ बस न चलेगा।"

"तेरी भूमि की उपज और तेरी सारी कमाई एक अनजाने देश के लोगे खा जाएंगे; और सर्वदा तू केवल अन्धेर सहता और पीसा जाता रहेगा;"

"यहां तक कि तू उन बातों के कारण जो अपनी आंखों से देखेगा पागल हो जाएगा।"

"यहोवा तेरे घुटनों और टांगों में, वरन नख से शिख तक भी असाध्य फोड़े निकालकर तुझ को पीड़ित करेगा।"

"यहोवा तुझ को उस राजा समेत, जिस को तू अपने उूपर ठहराएगा, तेरी और तेरे पूर्वजों से अनजानी एक जाति के बीच पहुंचाएगा; और उसके मध्य में रहकर तू काठ और पत्थर के दूसरे देवताओं की उपासना और पूजा करेगा।"

"और उन सब जातियों में जिनके मध्य में यहोवा तुझ को पहुंचाएगा, वहां के लोगों के लिये तू चकित होने का, और दृष्टान्त और शाप का कारण समझा जाएगा।"

"तू खेत में बीज तो बहुत सा ले जाएगा, परन्तु उपज थोड़ी ही बटोरेगा; क्योंकि टिड्डियां उसे खा जाएंगी।"

"तू दाख की बारियां लगाकर उन मे काम तो करेगा, परन्तु उनकी दाख का मधु पीने न पाएगा, वरन फल भी तोड़ने न पाएगा; क्योंकि कीड़े उनको खा जाएंगे।"

"तेरे सारे देश में जलपाई के वृक्ष तो होंगे, परन्तु उनका तेल तू अपने शरीर में लगाने न पाएगा; क्योंकि वे झड़ जाएंगे।"

"तेरे बेटे-बेटियां तो उत्पन्न होंगे, परन्तु तेरे रहेंगे नहीं; क्योंकि वे बन्धुवाई में चले जाएंगे।"

"तेरे सब वृक्ष और तेरी भूमि की उपज टिड्डियां खा जाएंगी।"

"जो परदेशी तेरे मध्य में रहेगा वह तुझ से बढ़ता जाएगा; और तू आप घटता चला जाएगा।"

"वह तुझ को उधार देगा, परन्तु तू उसको उधार न दे सकेगा; वह तो सिर और तू पूंछ ठहरेगा।"

"तू जो अपने परमेश्वर यहोवा की दी हुई आज्ञाओं और विधियों के मानने को उसकी न सुनेगा, इस कारण ये सब शाप तुझ पर आ पड़ेंगे, और तेरे पीछे पड़े रहेंगे, और तुझ को पकड़ेंगे, और अन्त में तू नष्ट हो जाएगा।"


"और वे तुझ पर और तेरे वंश पर सदा के लिये बने रहकर चिन्ह और चमत्कार ठहरेंगे;"

"तू जो सब पदार्थ की बहुतायत होने पर भी आनन्द और प्रसन्नता के साथ अपने परमेश्वर यहोवा की सेवा नहीं करेगा,"

"इस कारण तुझ को भूखा, प्यासा, नंगा, और सब पदार्थों से रहित होकर अपने उन शत्राुओं की सेवा करनी पड़ेगी जिन्हें यहोवा तेरे विरूद्ध भेजेगा; और जब तक तू नष्ट न हो जाए तब तक वह तेरी गर्दन पर लेहे का जूआ डाल रखेगा।"